Friday, November 30, 2012



पंडित विश्वमोहन भट्ट को 'सत्या फाउंडेशन' ने किया सीधा फोन; रात भर चलने वाले कार्यक्रमों के लिए साउंड प्रूफ सभागार ही उचित

वाराणसी, 1 दिसंबर 2012 
आप मानें या मानें, मगर यह सच है कि देश की सांस्कृतिक धार्मिक राजधानी काशी यानी वाराणसी में लोग रात 10 बजे के बाद शोर-शराबे का इतना जबरदस्त  विरोध कर रहे हैं कि प्रशासन को मजबूर होकर बड़े आयोजकों को कानूनी नोटिस और तमाम मामलों में मुकदमे दर्ज करने पड़ रहे हैं। संशोधित ध्वनि प्रदूषण नियम-2010 के तहत रात 10 बजे ध्वनि-विस्तारक यन्त्र को पूरी तरह स्विच आफ करने के नियम का  कड़ाई से लागू होने से लाखों को फ़ायदा हुआ और अखिलेश सरकार को विद्यार्थियोंमरीजों और वृद्धों की दुआएं मिल रही हैं मगर जिनकी 24 घंटे वाली 'दुकानदारी' चौपट हो रही है वो दूसरों को भी 24 घंटे डिस्टर्ब करने का लाइसेंस फिर से प्राप्त करने के लिए 'परम्परा और संस्कृतिकी दुहाई दे रहे हैं। और वह भी लोगों की नींद और स्वास्थ्य की कीमत पर। वे यह भूल जाए हैं कि अब पुराना जमाना गया। जिन्हें आपका अमृत चाहिए, वे हेडफोन लगाकर यूट्यूब पर या सीडी या मोबाइल पर रात भर बंद कमरे में भी सुन सकते हैं। संगीत और संस्कृति के संवर्धन के लिए लोगों की शान्ति और नींद से खिलवाड़ क्यों?
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पंडित विश्वमोहन भट्ट को सत्या फाउंडेशन ने किया सीधा फोन; कहा रात भर चलने वाले कार्यक्रमों के लिए साउंड प्रूफ हाल ही उचित:

"क्यों विशेष छूट चाहिए? अब यहाँ भी आरक्षण? लाऊडस्पीकर नहीं पहचानता शास्त्रीय और अशास्त्रीय संगीत का अंतर, भट्ट साहब। इस लाऊडस्पीकर पर कुछ भी गाइए या बजाइए, यह रात में गूंजेगा और जब पास के घर में आराम कर रही बीमार माँ कहेगी - "विश्वमोहन, बंद करो  गाना बजाना" तो क्या विश्वमोहन बाबू "परम्परा संस्कृति की रक्षा" के लिए माँ की इच्छा की विपरीत उनको रात भर जगाकर बीमार माँ के कानों में "म्यूजिक थेरैपी" देते रहेंगे? विश्वमोहन जी, रात को स्लीप यानी गहरी नींद ही सबसे बड़ी थेरैपी होती है। जय हिन्द, जय  भारत !!!"
         - चेतन उपाध्याय, सचिव, सत्या फाउंडेशन 
 पं. विश्वमोहन भंट्ट ने रात दस बजे के बाद संगीत आयोजनों पर प्रतिबंध की बाबत कहा कि ध्वनि प्रदूषण बेशक खतरनाक है लेकिन संगीत को इस श्रेणी में नहीं रखना चाहिए। यह हृदय की कोमल भावनाओं से जुड़ा है। इसके लिए छूट दी जानी चाहिए।
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पं. विश्वमोहन भंट्ट जी द्वारा रात 10 बजे के नियम में छूट देने के मुद्दे पर हमने पंडित जी को फोन करके अपना गहरा रोष जताया है। और उनसे अपील की कि लाऊडस्पीकर पर चलने वाले रात भर के कार्यक्रम सिर्फ बंद हालों में ही किये जाएँ नहीं तो रात की नींद खराब होने की दशा में स्थानीय जनता का कोपभाजन बनने के लिए तैयार रहना पडेगा। और कार्यक्रम आयोजकों पर हमेशा कानून की तलवार लटकती रहेगी, वह अलग से।
(चेतन उपाध्याय)
सचिव 
सत्या फाउंडेशन 
09212735622
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Saturday, November 17, 2012


दीपावली पर चटाई बम से वृद्ध व्यक्ति को प्रताड़ित करना पडा महँगा, एसपी के आदेश पर मनबढ़ युवक के खिलाफ दर्ज हुआ मुक़दमा 

वाराणसी, 

एक ऐतिहासिक घटनाक्रम (संभवतः उत्तर प्रदेश में पहला) में वाराणसी पुलिस ने आवासीय एपार्टमेंट के अन्दर तेज आवाज  वाले पटाखों का इस्तेमाल करके एक 71 वर्षीय वृद्ध व्यक्ति को प्रताड़ित करने के आरोप में 37 वर्षीय मनबढ़ युवक के खिलाफ आईपीसी की धारा 290, 291 (6 माह तक की जेल या जुर्माना या एक साथ दोनों सजा) के साथ ही पर्यावरण संरक्षण एक्ट-1986 (1 लाख रुपये तक जुर्माना या 5 वर्ष तक की जेल या एक साथ दोनों सजा) के तहत मुकदमा कायम किया है। 
यह मुकदमा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में संगीत शास्त्र विभाग में अतिथि प्रवक्ता और वर्त्तमान में विराट विला एपार्टमेंट, महमूरगंज (थाना सिगरा) में रहने वाले डाक्टर आदिनाथ उपाध्याय की तहरीर पर कायम किया गया है। 
डा आदिनाथ उपाध्याय सिगरा थाना अंतर्गत महमूरगंज इलाके के विराट विला एपार्टमेंट में रहते हैं। उन्होंने विला के लोगों से लिखित अपील की थी कि दीपावली के दिन एपार्टमेंट के अन्दर आतिशबाजी का प्रयोग न किया जाए। मगर विराट विला में रहने वाले रितेश मेहता ने रात 9 बजे के आसपास डाक्टर उपाध्याय के प्रथम मंजिल फ़्लैट के ठीक नीचे (फ़्लैट से 10 फीट की दूरी पर), चटाई बम बिछाकर उसमे आग लगा दी। इस दृश्य को डाक्टर आदिनाथ उपाध्याय ने खुद अपनी बालकनी से देखा। और इस दीर्घ-कालीन, ताबड़तोड़ बमबाजी  की आवाज और दमघोंटू धुंए ने उन्हें बेहाल कर दिया। किसी तरह पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर शिकायत दर्ज कराई। और उसके बाद एसपी सिटी श्री संतोष कुमार सिंह के मोबाइल 9454401124 पर सूचना दी। जब मौके पर सिगरा थाने से जुडी नगर निगम पुलिस चौकी के प्रभारी श्री तहसीलदार सिंह पहुंचे, तो चटाई बम अपने शबाब पर था। डाक्टर आदिनाथ उपाध्याय के पारिवारिक मित्र और घटना के गवाह श्री  अशोक कुमार ने बताया कि पूरी बिल्डिंग में सिर्फ कानफाडू शोर और धुंआ था। ऐसा रोंगटा खडा कर देने वाला दृश्य देखकर सब इंस्पेक्टर श्री टीडी सिंह भी सन्न रह गए और उन्होंने तुरंत डाक्टर आदिनाथ उपाध्याय से लिखित तहरीर की मांग की। रात 9.45 पर तहरीर दी गयी और रात 10.30 बजे सिगरा थाने  में 37 वर्षीय श्री रितेश मेहता के खिलाफ नामजद मुक़दमा कायम हो गया। इस संबंध में नगर पुलिस अधीक्षक श्री संतोष कुमार सिंह ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण कानून को पूरी तरह लागू कराने के लिए हमारी पुलिस प्रतिबद्ध है और कानून के मुताबिक़, रात 10 के बाद ही नहीं, बल्कि दिन में भी एक निश्चित सीमा के ऊपर शोर के खिलाफ कोई भी व्यक्ति मुकदमा कायम करा सकता है और इसके लिए सभी थानों के दरवाजे आम जनता के लिए हमेशा खुले हुए हैं। सामान्यतः किसी भी राज्य की पुलिस पर्व-त्यौहार की आड़ में हो रहे ध्वनि-प्रदूषण के खिलाफ एक्शन लेने में संकोच करती है और इसके लिए कानून-व्यवस्था बिगड़ने की संभावना का हवाला  दिया जाता है, मगर मंगलवार को दीपावली की रात हुए इस एक मुक़दमे ने लाखों बेजुबान लोगों को आशा की एक नयी ज्योति दी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि धर्म की आड़ में हो रहे आतंकवाद (तेज शोर करके लोगों को मारना भी तो आतंकवाद ही है) के खिलाफ और लोग भी  खुलकर सामने आयेंगे। 
(चेतन उपाध्याय) 
सचिव, सत्या फाउंडेशन 
09212735622

संलग्न: 
2 पृष्ठ में एफआईआर की प्रति 



Sunday, September 16, 2012

गुटखा जलाओ - युवा बचाओ


"गुटखा जलाओ - युवा बचाओ"-  
 
रविवार 16 /9 /12 को संस्था "है उम्मीद" द्वारा 'गुटखा जलाओ-युवा बचाओ' कार्यक्रम का आयोजन सेक्टर- 50, मार्किट में किया गया, जहाँ भरी संख्या में लोगो ने इक्कठा होकर 'गुटखा दहन' कार्यक्रम में भाग लिया. संस्था के अध्यक्ष विनीत चौधरी ने बताया कि "इस गुटखा-दहन कार्यक्रम का उद्देश्य जनता एवं राज्य सरकार को इस कार्यक्रम द्वारा जगाना हैं, सभी जानते हैं आज गुटखा ही मुंह एवं गले के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है और इसी लत का भयंकर रूप तब सामने आता है जब इसी के चलते किसी व्यक्ति की जान चली जाती है. इसीलिए राज्य सरकार से अपील है कि वह जनहित में जल्द से जल्द पुरे राज्य में गुटखे पर पाबन्दी लगाये. क्यूंकि राजस्व से कहीं बढकर जनता का स्वास्थ्य है, साथ ही हम सभी सामाजिक संस्थाओ, RWA एवं सेक्टरवासियों से  अपील करते है कि वह अपने सेक्टरो के आस-पास गुटखे की बिक्री को बंद कराये और समाज के बेहतर निर्माण में अपना सहयोग दे ". देखा गया है कि कम उम्र में ही कई युवा गुटखे की गिरफ्त में आ जाते है और कई प्रकार की बीमारियों से घिर जाते है, इसी के चलते, गोरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही विनीत चौधरी ने सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर गुटखे पर पाबन्दी लगाने कि मांग करी थी.  हाल ही में कुछ समय पहले दिल्ली सरकार ने जनहित में गुटखे पर पाबन्दी लगाकर एक बेहतरीन मिसाल पेश करी है. विनीत चौधरी ने बताया कि इसी मुद्दे को लेकर वो जल्द ही सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन भी देंगे. कार्यक्रम में उन्होंने 'गुटखा जलाओ युवा बचाओ' नारे को बुलंद किया और तभी  इस मौके पर फ्लाईट लेफ्टिनेंट जे.पी.शर्मा ने कहा कि गुटखा पुरे समाज पर कलंक है और इसे जल्द से जल्द मिटने की जरूरत है. सेक्टर-50 मार्किट से संजीव मादरा ने कहा की वह संस्था 'है उम्मीद' के साथ मिलकर पुरे सेक्टर-50 से गुटखे की बिक्री बंद कराने का एलान करते है. मुशाहिद अली ने गुटखे को मौत का सामान की संज्ञा दी. 'गुटखे' पर पाबन्दी को लेकर 'गुटखे' की होली जलाने के इस सामूहिक सामाजिक मुहीम को जनता का भरपूर समर्थन मिला, जिसमे शमशेर सिंह बराड, डॉ गुरप्रीत सिंह, मुशाहिद अली, कर्नल पिल्लै, अतुल ठाकुर, आयुष चौहान, रमाकांत, उपदेश कुमार, अलोक सिंह, समीर भाटिया, रवि अरोरा, डॉ कुरूप, बी.आर.विरमानी, प्रवीन भरद्वाज, राजेश राजोरा, गोपाल तिवारी, सुभाष चौहान, अजब सिंह, मनोज यादव, डॉ सुभाष सहगल, जय अहलावत, अंशुल पंवार, सुनील डबास, राजू इतवारी, बबलू सिंह, गौरव कुमार, अनिल कोहली, अमित धनकड़, रणविजय मान, विजय वर्मा इत्यादि मुख्य तोर पर मौजूद रहे. 

Saturday, August 25, 2012

गुरु और शिष्य का रिश्ता

 गूरू और शिष्य का जो स्म्र्प्र्न और श्र्दा का है जिसमे सीखना और सीखाना यू गुरु शिष्य का रिश्ता का आधार माना गया गई भारतीय समाज आईएएस रिश्ते को जिस नजरिये से देखता आया हे वह रिश्ता आज बदल गया है गूरू और शिष्य सम्ब्ध को समाज के दूस्जे रिश्ते से अलग रख के नही देखा जाता बदले हूये समय में यह उम्मिद नही कि जसक्ति कि गुरु और छात्र आश्रम विवस्था को ही निभाते है यह सम्बध वेहतर सामाजिक आयामों पर निर्भर करता हे मौजूदा विवस्था गुरु को उसके पेशे के भावीं समाज का रूप है गुरु और शिष्य के भाटार सम्बध समाज को भी बेहतर बना सकते है एक विधयर्थि को अच्छा नागरिक बनाने कि ताकत गुरु के पास ही है 

गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागूँ पाय। 
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।


'गु' शब्द का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) और 'रु' शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान। अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह गुरु है।

वैसे तो हमारे जीवन में कई जाने-अनजाने गुरु होते हैं जिनमें हमारे माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है फिर शिक्षक और अन्य। लेकिन असल में गुरु का संबंध शिष्य से होता है न कि विद्यार्थी से। आश्रमों में गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वाह होता रहा है।

गुरु क्या है, कैसा है और कौन है यह जानने के लिए उनके शिष्यों को जानना जरूरी होता है और यह भी कि गुरु को जानने से शिष्यों को जाना जा सकता है, लेकिन ऐसा सिर्फ वही जान सकता है जो कि खुद गुरु है या शिष्य। गुरु वह है ‍जो जान-परखकर शिष्य को दीक्षा देता है और शिष्‍य भी वह है जो जान-परखकर गुरु बनाता है।

ND
स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने बहुत प्रयास किए कि नरेंद्र (विवेकानंद) मेरा शिष्य हो जाए क्योंकि रामकृष्ण परमहंस जानते थे कि यह वह व्यक्ति है जिसे सिर्फ जरा-सा धक्का दिया तो यह ध्यान और मोक्ष के मार्ग पर दौड़ने लगेगा।

लेकिन स्वामी विवेकानंद बुद्धिवादी व्यक्ति थे और अपने विचारों के पक्के थे। उन्हें रामकृष्ण परमहंस एक ऐसे व्यक्ति नजर आते थे जो कोरी कल्पना में जीने वाले एक मूर्तिपूजक से ज्यादा कुछ नहीं। वे रामकृष्‍ण परमहंस की सिद्धियों को एक मदारी के चमत्कार से ज्यादा कुछ नहीं मानते थे। फिर भी वे परमहंस के चरणों में झुक गए क्योंकि अंतत: वे जान गए कि इस व्यक्ति में कुछ ऐसी बात है जो बाहर से देखने पर नजर नहीं आती।

तब यह जानना जरूरी है कि आखिर में हम जिसे गुरु बना रहे हैं तो क्या उसके विचारों से, चमत्कारों से या कि उसके आसपास भक्तों की भीड़ से प्रभावित होकर उसे गुरु बना रहे हैं, यदि ऐसा है तो आप सही मार्ग पर नहीं हैं।
गुरु और शिष्य की परम्परा के ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिससे यह जाहिर होता है कि गुरु को शिष्य और शिष्य को गुरु बनाने में कितनी जद्दोजहद का सामना करना पड़ा।

Sunday, August 19, 2012

अफवाहों का दौर थमा पुलिस ने 16 लोगों को किया गिरफ्तार

बेंगलुरू/ कर्नाटक से पलायन करके पूर्वोत्तर के हजारों लोग शनिवार को असम की राजधानी गुवाहाटी पहुंचे। उधर, पुलिस ने अफवाह फैलाने के आरोप में 16 लोगों को गिरफ्तार किया। सीबीआई ने इस मामले में सात मामले दर्ज किए हैं।

असम में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के बदले पूर्वोत्तर के लोगों को निशाना बनाने की धमकी मिलने और उन पर हमले की अफवाह के बाद पलायन का यह दौर शुरू हुआ। उधर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने असम हिंसा के दोषियों का सुराग देने वालों को एक लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।

पुलिस ने 16 लोगों को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया। इसमें से आठ लोगों को एसएमएस एवं एमएमएस द्वारा पूर्वोत्तर के लोगों पर हमले से सम्बंधित अफवाह फैलाने वाले एवं आठ लोगों को हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

बेंगलुरू पुलिस आयुक्त बीजी ज्योतिप्रकाश मिर्जी ने यह जानकारी दी।

गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर असम के शिवसागर जिले के निवासी बितोपन बरुआ ने बताया, "मैं बेंगलुरू में पांच वर्षों से रह रहा हूं। मेरे कुछ मित्रों को स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हमें 20 अगस्त से पहले बेंगलुरू छोड़ने या फिर परिणाम भुगतने की धमकी दी। हमने तुरंत छोड़ने का निर्णय लिया और 15 अगस्त को बेंगलुरू रेलवे स्टेशन पर खड़ी विशेष रेलगाड़ी में सवार हो गए।"

धीमाजी की दिंगाता पेगू ने बताया, "हमें धमकीभरा कोई फोन नहीं किया गया। कुछ लोग चाकू एवं खंजर लेकर हमारे कमरे पर आए और हमसे 20 अगस्त तक राज्य छोड़ने की धमकी दी। उन्होंने असम में हाल ही में भड़की हिंसा का भी हवाला दिया और गम्भीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी।"

कर्नाटक सरकार ने पूर्वोत्तर के लोगों के लिए तीन विशेष रेलगाड़ियों की व्यवस्था की थी।

लोगों के बड़ी संख्या में आने से पहले से ही बाढ़ एवं नस्लीय हिंसा झेल रही राज्य सरकार के सामने परेशानी बढ़ गई है।

सीबीआई ने शनिवार को असम में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के दोषियों के विषय में सूचना उपलब्ध कराने पर एक लाख रुपये देने की घोषणा की है। सीबीआई असम में बोडो एवं बांग्लाभाषी मुस्लिमों के मध्य भड़की हिंसा की जांच कर रही है।

एक अधिकारी ने कहा, "सूचना विश्वसनीय होनी चाहिए जिसकी सहायता से हम हिंसा के दोषियों को गिरफ्तार कर सकें। सुराग बताने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी।"

सीबीआई ने बयान में कहा, "जिस किसी के पास भी सूचना हो वह सीबीआई से 8811099997 या फिर 8811099996 पर फोन या फिर एसएमएस कर सकते हैं। सूचनाएं 03664-241253 पर फैक्स की जा सकती हैं।"

एक था टाइगर’ बनने की पूरी कहानी!

फिल्मों की कमाई के मामले में 'दबंग' सलमान खान अब आमिर खान और शाहरुख खान से आगे निकलते दिख रहे हैं। रिलीज के पहले ही दिन सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ ने 32 करोड़ रुपये छापकर खलबली मचा दी और कमाई का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाने का दावा पेश कर दिया है। यह फिल्म सलमान खान की सबसे बड़ी हिट बनने जा रही है और सलमान बॉलीवुड के सबसे बड़े खान के रूप में उभर रहा है। खबरें तो यह भी आ रही हैं कि रिलीज के दूसरे दिन तक इस फिल्म ने करीब 60 करोड़ की कमाई कर दी थी। जानकार मान रहे हैं कि फिल्म 300 करोड़ की कमाई का आंकड़ा भी छू सकती है। लेकिन कहा जा रहा है कि इस फिल्म के लिए पहली पसंद शाहरुख खान थे, फिर कैसे मिल गया सलमान को मौका? क्या इसमें कैटरीना का कोई गेमप्लान था? जानते हैं पूरी बातें!
सलमान खान का कर्ज उतारा कैटरीना ने,,

कैटरीना कैफ ने कबीर खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ में सलमान खान को हीरो बनवाकर अपना पुराना कर्च चुकता कर लिया। खुद सलमान खान ने इस बात पर मुहर लगाई।

सलमान के अनुसार जब यशराज को फिल्म न्यूयॉर्क में एक हीरोइन की जरूरत थी तो उन्होंने कैट का नाम सुझाया था लेकिन जब ‘एक था टाइगर’ की बात आई तो कैटरीना ने कबीर से सलमान को फिल्म में रखने को कहा।

आश्चर्य की बात ये थी कि ब्रेकअप की खबरों के बीच सलमान ने पहली बार यशराज की फिल्म साइन कर ली।

बदला था लुक 'टाइगर'
'एक था टाइगर' के लिए सलमान ने अपना लुक भी बदला था। सलमान ने अपनी हेयर स्टाइल भी बदल ली थी। नवम्बर 2011 में एक अवार्ड फंक्शन के दौरान सलमान पहली बार इस नयी हेयर स्टाइल में नजर आई थी। इसी दौरान 'बिग बॉस-5' में 'आपका फरमान' की शूटिंग के दौरान उनका हेयर स्टाइल बिल्कुल अलग नजर आया।

यही नहीं, उन्होंने अपने काम करने के अंदाज में भी बदलाव किया है। खबरों के मुताबिक अब वो एक साल में एक ही फिल्म करेंगे।

दरअसल अमेरिका में सितंबर 2011 में हुई सर्जरी के बाद सलमान सीधे शूटिंग के लिए विदेश चले गए थे। हालांकि डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी। डबलिन और टर्की में सलमान ने कैटरीना कैफ के साथ फिल्म 'एक था टाइगर' की शूटिंग की।

आदित्य चोपड़ा को माननी पड़ी सलमान की शर्त,
बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान केवल और केवल अपने बनाए नियमों के अनुसार ही काम करते हैं और कोई भी सलमान के काम करने में दखलदांजी नहीं कर सकता है। यशराज फिल्म्स के आदित्य चोपड़ा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब उन्होंने सलमान को फिल्म ‘एक था टाइगर’ की पटकथा पढ़ने के लिए जोर दिया था।

दरअसल सल्लू को घंटों बैठकर स्क्रिप्ट पढ़ना अच्छा नहीं लगता है, इसलिए जब आदित्य ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा तो ‘दबंग खान’ ने भी एक शर्त रख दी। सलमान ने आदित्य से कहा कि वे उनके साथ बैठकर स्क्रिप्ट पढ़ने को तैयार हैं अगर आदित्य और निर्देशक कबीर खान उनके पनवेल वाले फार्महाउस पर आएंगे। आदित्य के पास और कोई चारा भी नहीं था, इसलिए उन्हें कबीर खान के साथ सलमान के फार्महाउस जाना पड़ा।

सूत्र के अनुसार आदित्य इससे पहले कभी भी अपनी फिल्म के किसी अभिनेता को स्क्रिप्ट पढ़ाने के लिए शहर से बाहर नहीं गए हैं। लेकिन इस बार आदित्य की ‘स्क्रिप्ट रीडिंग’ शहर से बाहर रखा गया।

सूत्रों के मुताबिक सलमान ने अपने सारे संवाद पढ़े और कैरेक्टर को निभाने के लिए तैयार हो गए। वैसे सलमान के इस फार्महाउस पर आना आदि के लिए किसी पिकनिक से कम नहीं था।

Sunday, July 15, 2012


सलमान खान------शायद बज जाये शहनाई

क्या सिनेमा का सबसे स्मार्ट कुंवारा इस साल करेगा शादी? खुद सलमान खान का जवाब है 'हाँ'
['दबंग' के लिए आपको कॅरियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। क्या आगे भी इस पुरस्कार की उम्मीद कर रहे हैं?]
मुझे अवॉर्ड नहीं चाहिए। इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं तो चाहता हूं कि मुझे नॉमिनेट भी न करें और अगर नॉमिनेट करने से कोई माइलेज मिलती है, तो एक चेक मेरी संस्था बीइंग ह्यूंमन के नाम काट दें।
[तो फिल्म पुरस्कारों की आपकी नजर में कोई अहमियत नहीं है?]
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तो अवॉर्ड फंक्शन में परफॉर्म करने जाता हूं। बस्स!
[अभिनव कश्यप के साथ आगे क्या प्लानिंग है?]
दबंग को रिपीट करेंगे। दबंग-2 बनाएंगे।
[आपकी आने वाली फिल्मों 'रेडी' और 'बॉडीगॉर्ड' को दबंग के ट्रैक पर बताया जा रहा है?]
नहीं-नहीं। यह बिल्कुल अलग फिल्में हैं। रेडी फुल ऑन कॉमेडी है और बॉडीगार्ड रोमांटिक एक्शन फिल्म है।
[दर्शक आपको इस साल भी टीवी पर देखेंगे?]
जरूर। प्रोमो, एड, सनसनी में देखेंगे। ब्रेकिंग न्यूज में देखेंगे। बिग बॉस में दोबारा बुलाया जाए तो देखेंगे। दस का दम में न्यौता आया तो देखेंगे।
[इस साल के लिए आपने क्या सोचा है? क्या करना है और क्या नहीं करना है?]
जो पिछले साल किया है, उससे डबल ही करना है।
[हिंदी सिनेमा को आप किस दिशा में जाते देख रहे हैं?]
ऐसा कोई फार्मूला नहीं है। हमने दबंग बनाई तो इंडस्ट्री के जितने भी लोग थे, सबने कहा कि पागल हो, मर जाओगे, डूब जाओगे। डिस्ट्रीब्यूटर नहीं मिल रहा था, फाइनेंसर नहीं मिल रहा था, कुछ भी नहीं मिल रहा था, लेकिन हमने पिक्चर बनाई और सबको बहुत पसंद आई। दर्शकों को बेवकूफ न समझकर, उनके एंटरटेनमेंट का ध्यान रखकर कोई पिक्चर बनाता है तो वह पिक्चर चलती है।
[कह सकते हैं कि अब आपने ऑडियंस की नब्ज पकड़ ली है?]
मुझे मेरी नब्ज ढूंढने में प्रॉब्लम होती है मैं ऑडियंस की नब्ज क्या पकडूंगा!
[क्या इस साल खुशखबरी सुन सकते हैं कि आप शादी करने जा रहे हैं?]
हाँ, सुन सकते हैं। जरूर सुन सकते हैं कि मैं शादी करने जा रहा हूं।