पंडित विश्वमोहन भट्ट को 'सत्या फाउंडेशन' ने किया सीधा फोन; रात भर चलने वाले कार्यक्रमों के लिए साउंड प्रूफ सभागार ही उचित
वाराणसी, 1 दिसंबर 2012
आप मानें या न मानें, मगर यह सच है कि देश की सांस्कृतिक व धार्मिक राजधानी काशी यानी वाराणसी में लोग रात 10 बजे के बाद शोर-शराबे का इतना जबरदस्त विरोध कर रहे हैं कि प्रशासन को मजबूर होकर बड़े आयोजकों को कानूनी नोटिस और तमाम मामलों में मुकदमे दर्ज करने पड़ रहे हैं। संशोधित ध्वनि प्रदूषण नियम-2010 के तहत रात 10 बजे ध्वनि-विस्तारक यन्त्र को पूरी तरह स्विच आफ करने के नियम का कड़ाई से लागू होने से लाखों को फ़ायदा हुआ और अखिलेश सरकार को विद्यार्थियों, मरीजों और वृद्धों की दुआएं मिल रही हैं मगर जिनकी 24 घंटे वाली 'दुकानदारी' चौपट हो रही है वो दूसरों को भी 24 घंटे डिस्टर्ब करने का लाइसेंस फिर से प्राप्त करने के लिए 'परम्परा और संस्कृति' की दुहाई दे रहे हैं। और वह भी लोगों की नींद और स्वास्थ्य की कीमत पर। वे यह भूल जाए हैं कि अब पुराना जमाना गया। जिन्हें आपका अमृत चाहिए, वे हेडफोन लगाकर यूट्यूब पर या सीडी या मोबाइल पर रात भर बंद कमरे में भी सुन सकते हैं। संगीत और संस्कृति के संवर्धन के लिए लोगों की शान्ति और नींद से खिलवाड़ क्यों?
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पंडित विश्वमोहन भट्ट को सत्या फाउंडेशन ने किया सीधा फोन; कहा रात भर चलने वाले कार्यक्रमों के लिए साउंड प्रूफ हाल ही उचित:
"क्यों विशेष छूट चाहिए? अब यहाँ भी आरक्षण? लाऊडस्पीकर नहीं पहचानता शास्त्रीय और अशास्त्रीय संगीत का अंतर, भट्ट साहब। इस लाऊडस्पीकर पर कुछ भी गाइए या बजाइए, यह रात में गूंजेगा और जब पास के घर में आराम कर रही बीमार माँ कहेगी - "विश्वमोहन, बंद करो गाना बजाना" तो क्या विश्वमोहन बाबू "परम्परा व संस्कृति की रक्षा" के लिए माँ की इच्छा की विपरीत उनको रात भर जगाकर बीमार माँ के कानों में "म्यूजिक थेरैपी" देते रहेंगे? विश्वमोहन जी, रात को स्लीप यानी गहरी नींद ही सबसे बड़ी थेरैपी होती है। जय हिन्द, जय भारत !!!"
- चेतन उपाध्याय, सचिव, सत्या फाउंडेशन
पं. विश्वमोहन भंट्ट ने रात दस बजे के बाद संगीत आयोजनों पर प्रतिबंध की बाबत कहा कि ध्वनि प्रदूषण बेशक खतरनाक है लेकिन संगीत को इस श्रेणी में नहीं रखना चाहिए। यह हृदय की कोमल भावनाओं से जुड़ा है। इसके लिए छूट दी जानी चाहिए।
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पं. विश्वमोहन भंट्ट जी द्वारा रात 10 बजे के नियम में छूट देने के मुद्दे पर हमने पंडित जी को फोन करके अपना गहरा रोष जताया है। और उनसे अपील की कि लाऊडस्पीकर पर चलने वाले रात भर के कार्यक्रम सिर्फ बंद हालों में ही किये जाएँ नहीं तो रात की नींद खराब होने की दशा में स्थानीय जनता का कोपभाजन बनने के लिए तैयार रहना पडेगा। और कार्यक्रम आयोजकों पर हमेशा कानून की तलवार लटकती रहेगी, वह अलग से।
(चेतन उपाध्याय)
सचिव
सत्या फाउंडेशन
09212735622
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पंडित विश्वमोहन भट्ट को 'सत्या फाउंडेशन' ने किया सीधा फोन; रात भर चलने वाले कार्यक्रमों के लिए साउंड प्रूफ सभागार ही उचित
वाराणसी, 1 दिसंबर 2012
आप मानें या न मानें, मगर यह सच है कि देश की सांस्कृतिक व धार्मिक राजधानी काशी यानी वाराणसी में लोग रात 10 बजे के बाद शोर-शराबे का इतना जबरदस्त विरोध कर रहे हैं कि प्रशासन को मजबूर होकर बड़े आयोजकों को कानूनी नोटिस और तमाम मामलों में मुकदमे दर्ज करने पड़ रहे हैं। संशोधित ध्वनि प्रदूषण नियम-2010 के तहत रात 10 बजे ध्वनि-विस्तारक यन्त्र को पूरी तरह स्विच आफ करने के नियम का कड़ाई से लागू होने से लाखों को फ़ायदा हुआ और अखिलेश सरकार को विद्यार्थियों, मरीजों और वृद्धों की दुआएं मिल रही हैं मगर जिनकी 24 घंटे वाली 'दुकानदारी' चौपट हो रही है वो दूसरों को भी 24 घंटे डिस्टर्ब करने का लाइसेंस फिर से प्राप्त करने के लिए 'परम्परा और संस्कृति' की दुहाई दे रहे हैं। और वह भी लोगों की नींद और स्वास्थ्य की कीमत पर। वे यह भूल जाए हैं कि अब पुराना जमाना गया। जिन्हें आपका अमृत चाहिए, वे हेडफोन लगाकर यूट्यूब पर या सीडी या मोबाइल पर रात भर बंद कमरे में भी सुन सकते हैं। संगीत और संस्कृति के संवर्धन के लिए लोगों की शान्ति और नींद से खिलवाड़ क्यों?
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पंडित विश्वमोहन भट्ट को सत्या फाउंडेशन ने किया सीधा फोन; कहा रात भर चलने वाले कार्यक्रमों के लिए साउंड प्रूफ हाल ही उचित:
"क्यों विशेष छूट चाहिए? अब यहाँ भी आरक्षण? लाऊडस्पीकर नहीं पहचानता शास्त्रीय और अशास्त्रीय संगीत का अंतर, भट्ट साहब। इस लाऊडस्पीकर पर कुछ भी गाइए या बजाइए, यह रात में गूंजेगा और जब पास के घर में आराम कर रही बीमार माँ कहेगी - "विश्वमोहन, बंद करो गाना बजाना" तो क्या विश्वमोहन बाबू "परम्परा व संस्कृति की रक्षा" के लिए माँ की इच्छा की विपरीत उनको रात भर जगाकर बीमार माँ के कानों में "म्यूजिक थेरैपी" देते रहेंगे? विश्वमोहन जी, रात को स्लीप यानी गहरी नींद ही सबसे बड़ी थेरैपी होती है। जय हिन्द, जय भारत !!!"
- चेतन उपाध्याय, सचिव, सत्या फाउंडेशन
पं. विश्वमोहन भंट्ट ने रात दस बजे के बाद संगीत आयोजनों पर प्रतिबंध की बाबत कहा कि ध्वनि प्रदूषण बेशक खतरनाक है लेकिन संगीत को इस श्रेणी में नहीं रखना चाहिए। यह हृदय की कोमल भावनाओं से जुड़ा है। इसके लिए छूट दी जानी चाहिए।
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पं. विश्वमोहन भंट्ट जी द्वारा रात 10 बजे के नियम में छूट देने के मुद्दे पर हमने पंडित जी को फोन करके अपना गहरा रोष जताया है। और उनसे अपील की कि लाऊडस्पीकर पर चलने वाले रात भर के कार्यक्रम सिर्फ बंद हालों में ही किये जाएँ नहीं तो रात की नींद खराब होने की दशा में स्थानीय जनता का कोपभाजन बनने के लिए तैयार रहना पडेगा। और कार्यक्रम आयोजकों पर हमेशा कानून की तलवार लटकती रहेगी, वह अलग से।
(चेतन उपाध्याय)
सचिव
सत्या फाउंडेशन
09212735622
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